Badalti Duniya
मैंने इस दुनिया को बदलते हुए देखा है
उस विशाल सूर्य को भी ढलते हुए देखा है
जो पंछी सुबह चहका करते थे उनका न होना भी देखा है
है मैंने इस दुनिया को बदलते हुए देखा है
जिस मिटटी ने पालन पोषण किया उसे आग उगलते भी देखा है
जिस जल ने हमेशा प्यास बुझाई
उसे तबाही मचाते भी देखा है
हा मैंने इस दुनिया को बदलते हुए देखा है
जिनकी डाल डाल पर खेला करते थे
जिनकी छाँव मई दोपहर बिता दिया करते थे
उन दिग्गजों को भी मैंने काटते हुए देखा है
कभी कभी लगता है क्या दिया है हमने इस खूबसूरत दुनिया का
क्योकि मैंने इस दुनिया को हस्ते खेलते हुए भी देखा है|
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